शनिवार, 17 सितंबर 2022

एनआईएद्वारा दाऊद को पकड़ने की तैयारी


करोड़ों की अवैध संपत्ति और विलासिता में जीवन व्यतीत करने वाले दाऊद इब्राहिम पर 25 लाख का इनाम घोषित कर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मास्टरस्ट्रोक मारा है।  दाऊद इतना बड़ा अपराधी नहीं है कि उस पर करोड़ों का इनाम घोषित किया जाए।  इस रकम से एनआईए ने दिखाया है कि वह चिंधीचोर  है।  जांच टीम ने चिंधीचोर दाऊद को पकड़कर वापस घर लाने की योजना बनाई है।

अंडरवर्ल्ड की गतिविधियां चरम पर पहुंचने के साथ ही दाऊद ने पूरे मुंबई में अपना आतंक मचा रखा था.  1990 के दशक में दाऊद ने दक्षिण मुंबई से वसई-विरार तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया।   वह दुबई में बैठकर मुंबई चला रहा था।  साउथ मुंबई में उन्होंने छोटा शकील और हसीना पारकर के साथ अंडरवर्ल्ड का प्रशासन चला रहा था।  रमा नाइक ने दाऊद के प्रभाव में मध्य मुंबई में काम करना शुरू किया।  पूर्वी उपनगरों में छोटा राजन ने दाऊद के लिए वर्चस्व बनाया गया था। पश्चिमी उपनगरों में भाई ठाकुर ने दाऊद के नेतृत्व में आतंक पैदा किया।  दाऊद ने ऐसी हर जगह पर अपने खास हस्तक लगाकर आतंक मचा रखा था.  इस समय आतंक के डर से कई सरकारी अधिकारी, राजनीतिक नेता और पुलिस व्यवस्था भी दाऊद के लिए काम कर रही थी।  लेकिन समय-समय पर दाऊद कबीले में बंटवारा होता रहा।  उसके अपने ही गैंगस्टर जो बाद में अपनी अपनी गॅंग बनवाकर प्रशासन चलाते थे, और उसेही खत्म करने का प्रयास करते थे। ऐसे में दाऊद ने या तो पुलिस को टिप देकर उनसे उनका एन्काऊंटर किया या फिर गैंगवार शुरू कर उनका सफाया कर दिया.  इस तरह दाऊद ने छोटा राजन और शकील को दुबई बुलाया।

यहीं से दाऊद ने एक बार फिर मुंबई समेत पूरे देश में अपराध बढ़ाना शुरू कर दिया।  इस बीच दाऊद के लिए काम करने के लिए हर समुद्र तट और गोदी पर एक टोली बनाई गई।  उस समय समुद्र के द्वारा बड़ी मात्रा में तस्करी होती थी।  वह जो समुद्र तट पर हावी है, देश में सभी कानूनी और अवैध व्यापार पर शासन करता है।  यह जानकर दाऊद ने देश के सभी समुद्री तटों पर लैंडिंग एजंट लगा दिए थे।यहां तक ​​कि जब इन लैंडिंग एजेंटों की सूची पुलिस बल के पास आई, उस समय भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिसके कारण 12 मार्च 1993 को सिलसिलेवार बम विस्फोट हुए।  बशीर अहमद करीम मंडलेकर, रत्नागिरी के बाणकोट खाड़ी में दाऊद का लैंडिंग एजेंट था।

रायगढ़ में मजीद मेनन, दिघी खाड़ी, रत्नागिरी और मुंबई क्षेत्रों में जॉनी दधी उर्फ ​​जॉन पोब्लास, मुंबई, रुइया पार्क, गुजरात के जुहू में बस्तीव, भट्टी गांव में मामुमियां पंजुमियां और सुजाद मियायां, मुंबई में अक्सा, मुंबई कोली, कफा परेड, ससून डॉक जॉन लम्बू, जबकि मुंबई, डॉक्स और न्हावा-शेवा फजल और मकबाल, मुंबई, मोहम्मद अली उर्फ ​​ममद्या, कर्नाटक और केरल अट्टा मालबारी दाऊद के लिए वॉच डॉक क्षेत्र में लैंडिंग एजेंट के रूप में काम कर रहे थे।इसी लैंडिंग एजेंट की मदद से आरडीएक्स और हथियारों का जखीरा पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते रायगढ़ पहुंचा।  आरडीएक्स और हथियारों का जखीरा माहिम में टायरग मेमन के गैरेज में लाया गया और शहर भर में बमबारी की गई।  इसके बाद दाऊद पाकिस्तान भाग गया।  आज तक वह पाकिस्तान में छिपा है।  लेकिन समय-समय पर पाकिस्तान ने मना कर  रहा है।क्योंकि पाकिस्तान की 80 फीसदी अर्थव्यवस्था दाऊद के अवैध कारोबार पर निर्भर है.  दाऊद ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीकाऔर महाद्वीपीय यूरोप में बड़े पैमाने पर अवैध व्यवसाय स्थापित किए गए हैं।

दाऊद ने हथियारों की तस्करी, नशीली दवाओं का कारोबार, अवैध कबाड़ का कारोबार, सुपारी लेकर हत्या और रियल एस्टेट में कई करोड़ की संपत्ति जमा की है। वह अपनी सुरक्षा के लिए इस संपत्ति में से कुछ पाकिस्तान और खाड़ी देशों को दे रहा है।  साथ ही वह कराची के क्रिप्टन इलाके में रहता है।  उसका पता समय-समय पर भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा पाकिस्तान और यूएनओ को भी दिया जाता रहा है।लेकिन पाकिस्तान ने लगातार इनकार का पर्दा खींचा है। भले ही वे उसे ना कहें, लेकिन अमेरिका और चीन की भी उसे साथ है।  क्योंकि एशिया में अपने हितों की रक्षा के लिए अमेरिका को पाकिस्तान की जरूरत है।  लेकिन दाऊद जिसने कई आतंकी संगठनों के समर्थन से भारत की धरती पर जनसंहार किया है, इसकी गिनती नहीं है।  अगर अमेरिकी धरती पर भी ऐसा ही नरसंहार होता तो क्या अमेरिका चुप रहता?यह 9/11 के हमलों के उदाहरण से स्पष्ट होता है।  क्योंकि दुनिया जानती है कि इस हमले के लिए जिम्मेदार अल-कायदा के आतंकवादी ओसामा बिन लादेन और अल-जवाहिरी को खत्म करने के लिए अमेरिका ने अफगानिस्तान में कितने साल बिताए।  लेकिन जब बात दाऊद की आती है तो अमेरिका भी कई बार खामोश पाया गया है। हालांकि, हमारी जांच एजेंसियां ​​भी चुप नहीं बैठीं।  वे भी दाऊद को  पकड़कर भारत में लाने का बिढा उठाया है।  इसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सबसे आगे है।  हाल ही में एनआईए ने दाऊद पर 25 लाख के इनाम का ऐलान किया है।  छोटा शकील दाऊद के भाई अनीस पर 20 लाख।  और 1993 के सीरियल ब्लास्ट के मुख्य आरोपियों में से एक टाइगर मेमन और अब्दुल रऊफ जैसे गैंगस्टरों पर 15 लाख के इनाम की भी घोषणा की है।इसी को देखते हुए जांच एजेंसियों ने दाऊद को किसी भी हाल में गिरफ्तार करने और घरवापसी की रणनीति बनाई है। दाऊद को पाकिस्तान के बाहर लाना इतना आसान नहीं है।  दाऊद को पकड़ने के लिए पिछले 29 साल से जांच एजेंसियां ​​चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। लेकिन उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है।  हालांकि जांच एजेंसियां ​​चुप नहीं बैठीं।  वे दाऊद को पकड़ने के लिए जंग जंग पछाड रही है।कुछ महीने पहले ही एनआईए में शामिल हुए महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी अतुल चंद्र कुलकर्णी ने आतंकी संगठन और दाऊद की गतिविधियों को विफल करने के लिए कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है।  ऐसे में दाऊद पर इनाम की घोषणा करना उनकी अपनी रणनीति का कदम कहना गलत नहीं होगा।  अन्य अपराधियों या आपराधिक संगठनों को तब तक नहीं रोका जाएगा जब तक कि दाऊद को देश में नहीं लाया जाता और उसका नेटवर्क नष्ट नहीं हो जाता।  इसके लिए दाऊद को पकड़ना होगा और उसकी घर वापसी करनी होगी। -मच्छिंद्र ऐनापुरे


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