शनिवार, 26 नवंबर 2022

गरीब पाकिस्तान में, शासक मालामाल

 पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त होगा। लेकिन उससे पहले ही एक सनसनीखेज खबर के चलते बाजवा विवादों में घिर गए हैं। यह जानकारी उनकी पत्नी की संपत्ति से जुड़ी है। एक पाकिस्तानी पत्रकार द्वारा प्रकाश में लाई गई जानकारी के अनुसार, बाजवा के परिवार की पाकिस्तान और विदेशों में संपत्ति और व्यवसायों का कुल मूल्य 12. 7 अरब से अधिक है। यह सर्वविदित तथ्य है कि पाकिस्तान में चुनी हुई सरकार नाममात्र की होती है और सारी शक्तियाँ सेना के हाथ में होती हैं। इससे खुलासा हुआ है कि बाजवा ने इस ताकत का गलत इस्तेमाल कर अपना घर भर लिया है।  पाकिस्तान में इस समय सरकारी संपत्ति को लूटा जा रहा है।

भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान पिछले कुछ समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहा है और यह बात सामने आई है कि देश के पास कर्ज की किस्त चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दयनीय स्थिति में पहुंच गई है। वहां महंगाई चरम पर है।  ईंधन समेत रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के दाम आसमान छू गए हैं। ऐसे में पाकिस्तान सरकार के पास वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए लोगों पर वित्तीय बोझ डालने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। लेकिन इससे जनता की कमर टूट सकती है।  क्योंकि अगले कुछ दिनों में पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लोगों के पास खाने-पीने के लिए भी पैसे की कमी हो जाएगी। साथ ही, पैसे के बावजूद, राक्षसी महंगाई के सामने उनका मूल्य नगण्य होने वाला है। ऐसा समय पाकिस्तान पर आने के लिए पूरी तरह से पाकिस्तान के हुक्मरानों और उन्हें अपने इशारों पर नचाने वाले लष्करशाह जिम्मेदार हैं।  पाकिस्तान की जनता निर्वाचित सरकार की अप्रभावी, व्यवहारशून्य और दिशाहीन नीतियों से पीड़ित है।

पाकिस्तान के आम लोगों की दुर्दशा इतनी भयावह है कि किसी भी हमदर्द का दिल दहल जाए। इस बीच, पाकिस्तान पर शासन करने वाले राजनीतिक और सैन्य नेताओं की विलासिता रत्ती भर भी नहीं बदली है। वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से उनकी कमाई में इजाफा हो रहा है उसे देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा। पाकिस्तान का आज कोई ऐसा नेता नहीं है जिसने इस गरीबी की हालत में भी बहुत पैसा जमा न किया हो। इस तथ्य को इन नेताओं द्वारा विलासिता पर करोड़ों रुपये खर्च करने से आसानी से देखा जा सकता है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और मौजूदा प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भले ही दुनिया के सामने देश की गरीबी का गाना गा रहे हों, लेकिन सियासी और फौजी नेताओं की फिजूलखर्ची छिपी नहीं है। 

देश में आर्थिक संकट के बावजूद अमीर बनने वालों की लिस्ट में अब एक नया नाम जुड़ गया है। नाम है पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा।  जनरल बाजवा 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले ही उनकी संपत्ति के आंकड़े से एक चौंकाने वाला खुलासा हो चुका है। इस हिसाब से पिछले छह साल में ही उनकी संपत्ति में आश्चर्यजनक इजाफा हुआ है। इसमें खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान और विदेशों में संपत्तियों और व्यवसायों का कुल मूल्य 12.7 अरब से अधिक है।  जनरल बाजवा के बेटे की हाल ही में शादी हुई है। लेकिन उससे 9 दिन पहले ही उनकी बहू की संपत्ति में अचानक इजाफा हुआ है। बहु की संपत्ति में भी अचानक वृद्धि हुई।  एक पाकिस्तानी वेबसाइट 'फैक्ट फोकस' ने दावा किया है कि ये बहु अब अरबपति बन गई है। जनरल बाजवा के परिवार ने उनकी बहू महनूर साबिर के पिता साबिर मिठू हमीद के साथ एक ज्वाइंट वेंचर शुरू किया। वेबसाइट ने यह भी दावा किया कि हमीद ने पाकिस्तान के बाहर काफी पैसा ट्रांसफर किया और विदेश में संपत्ति खरीदी है। इतना ही नहीं इस वेबसाइट का कहना है कि जनरल कमर जावेद बाजवा की पत्नी भी अचानक अरबपति बन गई हैं। जनरल बाजवा की पत्नी आयशा बाजवा ने गुलबर्ग ग्रीन्स इस्लामाबाद और कराची में एक बड़ा फार्म हाउस, लाहौर में कई भूखंड, डीएचए योजनाओं में वाणिज्यिक भूखंड और  प्लाजा खरीदे हैं। जब बाजवा पाकिस्तान के सेना प्रमुख नहीं थे, तब उनकी पत्नी को एक गृहिणी बताया गया था और उन्होंने आयकर भी नहीं दिया था। इसका मतलब यह है कि यह संपत्ती बाजवा के सेना प्रमुख के कार्यकाल के दौरान हासिल की गई है। जनरल बाजवा के करीबी हों या दूर के रिश्तेदार, हर कोई इन दिनों अमीर है। बाजवा के समधी एक सामान्य व्यापारी थे।  उनका कारोबार बड़ा नहीं था और वह अरबपति भी नहीं था। लेकिन बाजवा के सेना प्रमुख बनते ही दोनों परिवारों की सूरत बदल गई।

कई बार देखा गया है कि पाकिस्तान के राजनीतिक नेता और सैन्य नेता पैसे के कितने लालची होते हैं। यद्यपि वहां लोकतान्त्रिक राज्य व्यवस्था है, वह केवल नाम की है। क्योंकि वहां की अदालतें भी संप्रभु और स्वायत्त नहीं हैं। वे वहां सेना के अप्रत्यक्ष नियंत्रण में हैं।  इसके अलावा पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरपंथियों ने न्यायपालिका पर भी काफी दबाव बनाया है। हालाँकि पाकिस्तान भारत की तरह लोकसभा के आम चुनाव आयोजित करता है, यह एक तरह से 'फार्स' है; क्योंकि चुने हुए जनप्रतिनिधियों द्वारा स्थापित सरकार कठपुतली गुड़िया की तरह होती है। इन गुड़ियों की डोर सेना और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथ में है। पाकिस्तान की सरकार और इस सरकार के मंत्री बिना सेना की मंजूरी के एक भी फैसला नहीं ले सकते। इसलिए वहां की सेना के पास सारी ताकत है और फौजी अफसर उसका गलत इस्तेमाल कर बेशुमार दौलत बटोर रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गुलज़ार अहमद ने सैन्य उद्देश्यों के लिए सेना को दी गई भूमि के व्यावसायिक उपयोग के मुद्दे को उठाया था। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकारी जमीन को सैन्य उद्देश्यों के लिए लिया जा रहा है और उस पर सिनेमा हॉल, मैरिज हॉल, पेट्रोल पंप, शॉपिंग मॉल बनाए जा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तानी सेना का स्वार्थ किस हद तक पहुंच गया है।

पाकिस्तान हमेशा भारत की बराबरी करने की फिराक में रहता है। लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच बुनियादी अंतर बहुत है। भारत में भी भ्रष्टाचार है लेकिन हमारी न्यायपालिका अभी भी सर्वोच्च है। यहां की न्याय व्यवस्था ने समय-समय पर ऐसे भ्रष्टाचारियों को आरोप साबित कर जेल भेजने का फैसला किया है, चाहे वे कोई भी हों। दूसरी ओर, भारतीय सेना देश की रक्षा के लिए पूरी तरह से समर्पित है। भारतीय सेना को यहां के लोगों से जो सम्मान और आदर मिलता है, वह उसके सैनिकों के समर्पण में निहित है।  लोगों को उनकी वफादारी, पारदर्शिता, ईमानदारी, निष्पक्षता पर भरोसा है। इस विश्वास को हमारे सेना के अधिकारियों ने, सेवा में  और सेवानिवृत्ति के बाद भी जवानों ने कायम रखा है। वित्तीय गबन, भ्रष्टाचार, अवैध धन के मामलों में हमारे सैन्य अधिकारी कभी शामिल नहीं रहे हैं। हालाँकि इतिहास में कुछ मामले सामने आए होंगे;  लेकिन इस संबंध में छानबीन करके एक निष्पक्ष निर्णय लिया गया है। इसके विपरीत पाकिस्तान में है।  वहां पाकिस्तान सरकार का खजाना सेना के लिए चारागाह है। इसीलिए सेना के साथ-साथ सरकार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। जनरल बाजवा का मामला हिमशैल का सिरा है। -मच्छिंद्र ऐनापुरे, मुक्त पत्रकार 

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