शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

यूजीसी ने पीएचडी प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड में किया बदलाव

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड में कुछ बदलाव किए हैं। इस संबंध में नए नियम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा 7 नवंबर को जारी किए गए थे। इसके मुताबिक पीएचडी के लिए सीधे ग्रेजुएशन के बाद एडमिशन लिया जा सकता है। साथ ही जो लोग नौकरीपेशा में हैं, वे भी अब पीएचडी के लिए प्रवेश ले सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पीएचडी प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव किया है। इसके लिए अब स्नातकोत्तर डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी।  हालांकि इसके लिए यूजीसी ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं। जिन छात्रों ने न्यूनतम 75% अंकों या समकक्ष सीजीपीए के साथ चार वर्षीय डिग्री कोर्स पूरा कर लिया है, वे पीएचडी में सीधे प्रवेश के लिए पात्र होंगे। जिन्होंने चार साल के डिग्री कोर्स के बाद मास्टर डिग्री के लिए एडमिशन लिया है।  उन्हें पहले या दूसरे वर्ष में पीएचडी के लिए भी प्रवेश मिलेगा। हालांकि तीन वर्षीय डिग्री कोर्स के छात्रों को पीएचडी के लिए प्रवेश दो वर्षीय मास्टर डिग्री 55 फीसदी अंकों के साथ पूरा करने के बाद ही मिलेगा।

कई विश्वविद्यालयों ने मांग की थी कि एम.फिल के छात्रों को भी पीएचडी के लिए प्रवेश दिया जाए। इसके अनुसार जिन छात्रों ने अपना शोध पत्र जमा कर दिया है और वाई-व्हा रह चुके हैं, वे भी अब पीएचडी के लिए प्रवेश ले सकेंगे। इसके साथ ही नौकरीपेशा लोग भी अब पार्ट टाइम पीएचडी के लिए एडमिशन ले सकते हैं।  इसके लिए जिस कार्यालय में कार्यरत हैं उसका अनुमति पत्र विश्वविद्यालय को जमा करना अनिवार्य है। नए नियमों के मुताबिक प्रवेश प्रक्रिया में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।  अब तक के नियमों के अनुसार, छात्रों को विश्वविद्यालय या कॉलेज स्तर पर पीएचडी के साथ-साथ नेट/जेआरएफ परीक्षा के माध्यम से प्रवेश दिया जा सकता है। हालांकि, विश्वविद्यालय या कॉलेज स्तर पर आयोजित प्रवेश परीक्षा के पाठ्यक्रम का 50 प्रतिशत शोध पद्धति होना चाहिए, जबकि शेष 50 प्रतिशत पाठ्यक्रम विषय से संबंधित होना चाहिए।

कुछ दिन पहले यूजीसी के सामने नेट-जेआरएफ पास करने वाले छात्रों को पीएचडी दाखिले के लिए 60 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन यूजीसी ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। यह बात यूजीसी अध्यक्ष एम.  जगदीश कुमार ने बता दिया है। रिसर्च सुपरवाइजर्स (पीएचडी गाइड) के मामले में भी कुछ नए नियम लागू किए गए हैं। पुराने नियमों के अनुसार, योग्य प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर क्रमशः तीन, दो और एक एम.फिल छात्रों का मार्गदर्शन कर सकते थे। हालांकि अब नए नियमों के मुताबिक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर क्रमश: आठ, छह और चार छात्रों का मार्गदर्शन कर सकेंगे। साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत एम.फिल पाठ्यक्रम को रद्द कर दिया गया है। इसके साथ ही नए नियमों के मुताबिक यह भी कहा गया है कि जिन प्रोफेसरों की सेवानिवृत्ति तीन साल दूर है, वे किसी भी छात्र का मार्गदर्शन नहीं कर सकेंगे।

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