बुधवार, 2 नवंबर 2022

( बच्चों की कहानी) नया विचार

गांव से पार्थ के दादाजी के दोस्त महीने में कम से कम एक बार पार्थ के दादाजी से मिलने शहर आते थे। वे लगभग पचास वर्षों से मित्र हैं।  मिश्रा दादाजी बातूनी स्वभाव के थे। वे खूब बातें करते थे। दोनों दादाजीओं की बातें सुनने में पार्थ को मजा आता था। अन्य बड़े लोगों की तरह उन्होंने कभी नहीं कहा,' हम बड़े बात कर रहे हैं, तो तुम  खेलने जाव।' इसके उलट वह अपनी बातचीत में बच्चों को भी शामिल करते हैं। और इसीलिए पार्थ को दादाजी मिश्रा बहुत पसंद हैं। उनसे गांव के बारे में कई बातें सुनकर उसे मजा आता था।

 मिश्रा दादाजी के घर में घुसते ही पार्थ के दादाजी ने कहा,"ओह, तुझे दो या तीन बार फोन किया;  लेकिन तेरा फोन स्विच ऑफ आ रहा था।" बस, मिश्रा दादाजी को बातचीत के लिए एक विषय मिला। "अरे, तूने अखबार में  पढ़ा नहीं?  हमारे गांव ने ग्राम सभा में फैसला किया है कि हर शाम  सात से साढ़े आठ बजे तक बच्चों की पढ़ाई के लिए फोन, रेडियो और टीवी जैसे सभी उपकरण बंद रखें जाते हैं। ठीक सात बजे ग्राम पंचायत भवन पर लगे लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट की जाती है। तुरंत गांव के सभी बच्चे पढ़ाई के लिए बैठ जाते हैं। वे घर पर टीवी भी बंद कर देते हैं।  घर के बड़े लोग भी बच्चों के साथ पढ़ने में भाग लेते हैं। अब कुछ और पड़ोसी गांव इस गतिविधि में भाग ले रहे हैं। इसलिए मैं तेरा फोन नहीं ले सका।" 

पार्थ के दादाजी ने कहा, "यही तो है, गांव करेगा तो, राव क्या करेगा! सब ने मिलकर लिया हुआ फैसला पूरा हो जाता है। एकता की ताकत बड़ी होती है।" इससे पार्थ को मजा आया। उसे यह आइडिया बहुत पसंद आयी। वह यह भी जानता था कि इस विचार को शहर में लागू करना बहुत कठिन होगा। एक तरफ, कई के पास 'वर्क फ्रॉम होम' था, जबकि कुछ के पास महत्वपूर्ण कामों के फोन थे। और, सवाल ये ही उठता है कि लाउडस्पीकर कहां बजाएगा। पार्थ सोचने लगा। उसने खुद से कहा की, ठीक है,  पहले खुद से शुरुआत करता हूं। बाद में अपने दोस्तों को इस गतिविधि में शामिल करता हूं। पार्थ ने एक योजना बनाई। यह विचार सभी मित्रों को उसने तब बताया जब वे खेलने के लिए एकत्रित हुए थे।

" सात से साढ़े आठ बहुत लंबा समय  है, तो क्या यह आठ बजे तक शुरू करें?'' संजू ने पूछा। बाकी दोस्तों ने भी कहा कि वे आठ बजे तक पढ़ेंगे।

"लाउडस्पीकर कैसे बजाएं?'' पार्थ ने पूछा।

"अरे, चलो लाउडस्पीकर की जगह एक दूसरे को मिस्ड कॉल देते हैं..." संजू ने जवाब दिया। प्रश्न का हल हो गया।

फिर मिशन शुरू हुआ सात से आठ की पढ़ाई का। चार-पांच दिन बाद मां के ध्यान में आया कि ठीक सात बजे एक मिस कॉल आता है और पार्थ पढ़ाई के लिए बैठता है। लेकिन दादाजी इस आयडिया को जानते थे।

दादाजी ने तब कहा कि इन बच्चों ने मिश्रा दादाजी के गांव में चल रही गतिविधियां शुरू कर दी हैं। फिर सब कुछ सामने आ गया। अब सात से आठ के बीच मां भी गैजेट्स से दूर रहती है और हां पापा भी बैठकर पढ़ रहे होते हैं। और पार्थ के दादाजी एक चुटीली मुस्कान के साथ अपना समय पढ़ने में बिताते हैं।


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