गुरुवार, 17 नवंबर 2022

2050 में विश्व जनसंख्या वृद्धि की दर धीमी हो जाएगी

 15 नवंबर 2022 को दुनिया की आबादी 800 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई।  यह भविष्यवाणी 14 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में की गई थी। चीन और भारत इस आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा हैं। दिलचस्प बात यह है कि इसी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने भी भविष्यवाणी की है कि जनसंख्या के मामले में भारत चीन को पछाड़कर दुनिया में पहले स्थान पर पहुंच जाएगा। यह भी अनुमान है कि विश्व की जनसंख्या 2030 तक 850 करोड़, 2050 तक 970 करोड़ और 2100 तक 1040 करोड़ हो जाएगी। 2080 में दुनिया की आबादी चरम पर होगी।  2100 के बाद जनसंख्या घटने लगेगी।

संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में अलग-अलग भविष्यवाणी की गई है। इसने यह भी भविष्यवाणी की कि जब भारत, जो जनसंख्या में दूसरा सबसे बड़ा देश है, चीन को पीछे छोड़ देगा और पहला देश बन जाएगा। इसके मुताबिक भारत अगले साल यानी 2023 में चीन को पछाड़कर मौजूदा दर से आबादी में नंबर वन बन जाएगा। 2050 तक विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि केवल आठ देशों में होगी। इसमें कांगो, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और तंजानिया शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक विश्व जनसंख्या संभावना रिपोर्ट सोमवार (14 नवंबर) को विश्व जनसंख्या दिवस पर प्रकाशित हुई थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्तमान जनसंख्या वृद्धि दर 1950 के बाद से सबसे कम है। 2020 में जनसंख्या वृद्धि दर 1 प्रतिशत से भी कम थी।

दुनिया की आबादी को 700 करोड़ से 800 करोड़ होने में कुल 12 साल लगे। अब इस आबादी को 800 से बढ़ाकर 900 करोड़ करने में 15 साल लगेंगे। यानी साल 2037 में 900 करोड़ आबादी पहुंच जाएगी।  इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके कारण विश्व की जनसंख्या वृद्धि दर धीमी हो गई है। ब्रिटिश अर्थशास्त्री थॉमस रॉबर्ट माल्थस ने जनसंख्या वृद्धि पर एक सिद्धांत प्रतिपादित किया था। उसका नाम माल्थस थ्योरी है। माल्थस के सिद्धांत के अनुसार जनसंख्या प्रत्येक 25 वर्ष में दुगनी हो जाती है।  जब संसाधन सामान्य दर से बढ़ते हैं तो जनसंख्या वृद्धि दर दोगुनी हो जाती है। उदा.  यदि जनसंख्या 2 से 4 और 4 से 8 हो जाती है, संसाधन 2 से 3 और 3 से 4 हो जाता है।

माल्थस के सिद्धांत के अनुसार यदि जनसंख्या तेजी से बढ़ती है तो संसाधन कम होने लगते हैं। इससे भोजन और प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव पड़ता है। माल्थस का कहना है कि ऐसी स्थिति में जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वतः ही प्राकृतिक घटनाएं घटित होती हैं। उदा.  जनसंख्या को सूखा, महामारी, युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं जैसी घटनाओं द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
हालाँकि, माल्थस के सिद्धांत की कई बार आलोचना की गई है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, उपचार और प्रौद्योगिकी में प्रगति सार्वजनिक स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता और चिकित्सा को अधिक सुलभ बना रही है। इसके कारण महामारी की दर में कमी आई है।  महामारी हो भी जाए तो मरने वालों की संख्या पहले से कम है, क्योंकि इलाज उपलब्ध है। स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण जीवन प्रत्याशा बढ़ी है।  इससे मृत्यु दर में कमी आई है और जनसंख्या में वृद्धि हुई है। आज दुनिया की आबादी आठ अरब यानी 800 करोड़ हो गई है।  निश्चित रूप से यह एक ऐतिहासिक दिन है। पटाया-थाईलैंड में अंतर्राष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन संपन्न हुआ। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ.  नतालिया कानेम ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 'आठ' अंक सांकेतिक है।  यदि इसे क्षैतिज रूप से घुमाया जाए तो अनंत की तस्वीर बनती है।  इस संख्या को पार करने वाली दुनिया में अब महिलाओं और लड़कियों के लिए विकास की अनंत संभावनाएँ होनी चाहिए।

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