मंगलवार, 28 मार्च 2023

मानसिक मजबूती सबसे जरूरी है

तीन साल की उम्र में एक दुर्घटना से अंधे हुए लुई ब्रेल जीवन से पीछे नहीं हटे।  उन्होंने एक ऐसी ब्रेल लिपि बनाकर नेत्रहीनों के लिए ज्ञान का प्रकाश खोल दिया जिसे उंगलियों के स्पर्श से पढ़ा जा सकता है। इस बहुमूल्य लिपि का उपयोग आज दुनिया भर के लाखों दृष्टिहीन लोग कर रहे हैं। महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग मांसपेशियों की एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित थे, जिसके कारण उनका हिलना-डुलना लगभग असंभव हो गया था। हालाँकि, उन्होंने अपनी तीक्ष्ण बुद्धि के सहारे भौतिक विज्ञान में सृजन और ब्लैक होल के निर्माण पर गहन शोध के साथ एक महान वैज्ञानिक के रूप में ख्याति अर्जित की। 1880 में जन्मीं हेलेन केलर इंसेफेलाइटिस के कारण बहरेपन और अंधेपन से पीड़ित थीं। इनमें से कोई भी एक विकलांगता आम लोगों के जीवन को बर्बाद करने के लिए काफी है; लेकिन इस असाधारण महिला ने कठिनाइयों के पहाड़ का सामना करते हुए एक शिक्षक के मार्गदर्शन में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की। हेलेन एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में विश्व प्रसिद्ध हुईं। संक्षेप में शारीरिक रोग, दुर्बलता व्यक्ति की मानसिक  इच्छाशक्ति को नहीं रोक सकती। यहां तक ​​कि पैरालिंपिक के रिकॉर्ड भी भारत जैसे देश में अच्छे एथलीटों के रिकॉर्ड को शर्मसार कर देते हैं। अर्थात ब्रह्मांड में केवल आप ही हैं जो आपकी महत्वाकांक्षी इच्छा शक्ति को नियंत्रित करने की शक्ति रखते हैं। जीवन में केवल दो दिन महत्वपूर्ण हैं। एक वह दिन है जब आप पैदा हुए थे और दूसरा वह दिन है जब आपको पता चलता है कि आप क्यों पैदा हुए हैं। वॉल्ट डिज़्नी, ग्राहम बेल, एडिसन, आइंस्टीन के जीवन को देखते हुए, क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि इन्हे डिस्लेक्सिया की (मतलब धीमी गति से सीखना है) बिमारी थी? लेकिन यदि लक्ष्य आपके सामने हो, यदि आपके पास उसे प्राप्त करने का दृढ़ संकल्प हो और यदि आप अपने कार्य के प्रति समर्पित हों, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। 

बेशक, हम ही हमें रोक रहे होते हैं। कभी हम पारिवारिक, आर्थिक स्थिति का कारण सामने रखते हैं, तो कभी सामाजिक स्थिति का कारण सामने रखते हैं, कभी-कभी हम उन शुभचिंतकों के कारण आगे बढा देते हैं जो हमें सलाह देते हैं और हमारी विफलता को किसी और पर दोष देते हैं। इसीलिए हमेशा कहा जाता है, 'अगर हमारी वर्तमान स्थिति के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं होता है, तो हमने खुद ऐसी स्थिती बनाई होती है। 

मारिया रॉबिन्सन और मार्क ड्वेन के वाक्य यहाँ उल्लेखनीय हैं। कोई भी अतीत में प्रवेश करके नए सिरे से शुरुआत नहीं कर सकता, लेकिन कोई आज और अभी शुरू कर सकता है और अच्छे से समाप्त कर सकता है।' कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका अतीत कितना अच्छा या कितना बुरा है, इसका आपके भविष्य के कार्यों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव तभी पड़ता है जब आप उसे वर्तमान में लाते हैं। वैसे तो मनुष्य के जीवन में सुख के क्षण ओस की बूंदों के समान होते हैं, पर उसकी चमक मोती के समान होती है, यह भूलकर कि जो अपने जीवन के दुखों की ही बात करता है, वही दुखों को अपने जीवन में खींच लाता है। इसलिए याद रखना है तो अच्छे पलों को याद करो, अगर नहीं तो आज में जियो, एक उद्देश्य निर्धारित करो और आज अच्छे कर्म करो। 

हमेशा याद रखें कि आप और केवल आप ही आपके हर फैसले के लिए जिम्मेदार हैं। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत जरूरी है;  लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है खुद पर विश्वास। किसी भी परिस्थिति में सफलता के हमारे रास्ते बंद नहीं होते। अगर आपको लगता है कि आप एक ऐसी स्थिति में हैं जहां सभी रास्ते खत्म हो जाते हैं, तो आप गलत सोच रहे हैं। जहां एक रास्ता बंद होता है, वहां कई रास्ते खुल जाते हैं। आपको बस धैर्य रखना होगा। क्या हम न केवल पारंपरिक साधनों से बल्कि अन्य नए साधनों से भी लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं?  इसका परीक्षण किया जाना चाहिए। जगत में न्याय और अन्याय नाम की कोई चीज नहीं है। वह उसकी मदद करता है जो खुद की मदद करता है। इसलिए आपके सपने आपके डर से बड़े होने चाहिए और आपके कार्य शब्दों से अधिक जोर से बोलने चाहिए। एक रास्ता बंद है, इसलिए हमें रुकना नहीं चाहीए, हमें नए रास्ते तलाश कर आगे बढ़ना चाहीए  है। यह नहीं भुलाया जा सकता कि जीवन में क्रांति मनुष्य की प्रगति से नहीं बल्कि एक नए तरीके से हुई थी। यदि हम अपने स्वयं के व्यवहार पर वस्तुनिष्ठ दृष्टि डालें, तो हमें पता चलेगा कि लोग क्या कहेंगे, यह सोचकर भी यह हमें कितना परेशान करता है। वास्तव में, आपके बारे में लोगों की भावनाएँ बहुत सतही होती हैं। आपके पीछे बोलने वालों पर ध्यान देने का भी सवाल ही नहीं उठता। क्योंकि वो अनजाने में आपको पॉपुलर बना रहे होते हैं। लोग नोटिस के योग्य व्यक्ति को ही नोटिस करते हैं। यदि आपकी भावनाएँ और उद्देश्य अच्छे हैं, तो आपको बहुत अधिक सोचने या चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। आखिरकार, हमें अपना जीवन खुद ही जीना होता है। हमें तय करना है कि इसे कैसे जीना है। 

हम अपने जीवन के लेखक हैं। अगर मेरा जीवन उस तरह से होने जा रहा है जिस तरह से मैं लिखने जा रहा हूं तो फिर समय बर्बाद क्यों करें? ... कलम उठाओ और लिखो कि तुम क्या चाहते हो... किस लक्ष्य को प्राप्त करना है... -मच्छिंद्र ऐनापुरे, जत जि. सांगली 

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