शनिवार, 25 मार्च 2023

महान कलाकार उत्पल दत्त

अभिनेता उत्पल दत्त का जन्म 29 मार्च, 1929 को पूर्वी बंगाल के बरीसाल में हुआ था। उनके पिता का नाम गिरिजारंजन दत्त था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा शिलांग में हुई। इसके बाद उन्होंने अपनी शिक्षा कोलकाता से पूरी की और 1945 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने 1949 में सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोकटिया से अंग्रेजी साहित्य में डिग्री हासिल की। उन्होंने शेक्सपियरियन ग्रुप की स्थापना की। जेफ्री कैंडल और लौरा कैंडल, जो उस समय की एक प्रसिद्ध थिएटर जोड़ी थी, जो बाद में अभिनेता शशि कपूर के सास-ससुर  बने, उत्पल दत्त के अभिनय को देखा था।  उन्होंने दत्त को साइन कर लिया। उत्पल दत्त 1940 के बाद से अंग्रेजी रंगमंच से जुड़े और नाटकों में अभिनय करना शुरू किया। इस अवधि के दौरान, उन्होंने पूरे भारत और पाकिस्तान में जाकर कई नाटक किए। उनका नाटक ओथेलो बहुत लोकप्रिय और काफी चर्चा में रहा। 1940 के बाद, उन्होंने कुछ समय के लिए कोलकाता के साउथ पॉइंट स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाया। 

1950 के बाद बंगाली फिल्मों में उत्पल दत्त का करियर शुरू हुआ। उन्होंने न केवल निर्देशन किया बल्कि कई नाटक भी लिखे।  उनके बंगाली राजनीतिक नाटक अक्सर उन्हें परेशानी में डालते थे। 1950 में, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मधु बोस ने उन्हें अपनी 'माइकल मधुसूदन' में एक महत्वपूर्ण भूमिका में लिया। उनका रोल भी काफी पॉपुलर हुआ था। उसके बाद उन्होंने जाने-माने निर्देशक सत्यजीत रे की कुछ फिल्मों में भी काम किया।  उत्पल दत्त ने फिल्म 'भुवन शोम' से हिंदी फिल्म उद्योग में प्रवेश किया।  उन्होंने फिल्म भुवन शोम में अपने प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। उत्पल दत्त की भूमिकाओं के पीछे उनकी कड़ी मेहनत और अत्यधिक गहराई देखी जा सकती है। इसी तरह, वे सामाजिक रूप से बहुत जागरूक थे। वे मार्क्सवादी विचारों से प्रभावित थे। उनके नाटकों के माध्यम से लोगों के अन्याय को पढ़ा जा रहा था। 1965 में उन्हें जेल जाना पड़ा। 

उत्पल दत्त ने अपने जात्रा अभियान के माध्यम से बंगाल में गाँव-गाँव जाकर क्रांति की लौ जलाई। उनके नाटकों के लेखन को लेकर लगातार विवाद होते रहे। इससे देश और क्षेत्र के राजनीतिक लोग बेचैन हो जाते थे और उन्हे उनका कोप झेलना पड़ता था। उत्पल दत्त ने लगातार तीन वर्षों तक इबसेन, गोर्की, शॉ, टैगोर, गोर्की और कॉन्स्टेंटाइन के नाटकों के प्रयोग किये। उप्पल दत्त ने ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों में बतौर कॉमेडियन काम किया। उन्हें अपनी फिल्मों गोलमाल, नरम गरम और रंगबेरंगी के लिए तीन फिल्मफेयर पुरस्कार मिले। उत्पल दत्त ने गोलमाल में भवानी शंकर का काम इतनी खूबसूरती से किया है कि इसका कोई विकल्प नहीं है। उनकी आंखों, चाल और भाषण ने चरित्र को जीवन में ला दिया। अच्छा शब्द का उन्होंने कई बार उच्चारण किया, इतने अलग-अलग तरीकों से कि यह शब्द उनके व्यक्तित्व के कई पहलुओं को प्रकट करता है। इतने महान कलाकार का 19 अगस्त 1993 को निधन हो गया। -मच्छिंद्र ऐनापुरे, जत जि. सांगली

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