रविवार, 1 जनवरी 2023

(बाल कहानी) अनोखा जन्मदिन

विनया का जन्मदिन निकट था।  वह अपने जन्मदिन का बेसब्री से इंतजार करती थी।  क्योंकि इस दिन उसका काफी लाड़-प्यार किया जाता था।  नए कपड़े, उपहार, केक, दोस्तों के लिए छोटी पार्टी ये सब वह बहुत चाहती थी।  उस दिन वह मानो जन्मदिन के सपने में खोई हुई थी।

तभी उसने दुर्गा दादी की बात सुनी। दुर्गा दादी  घर में काम करने के लिए आती थी। वह विनया की माँ से कह रही थी, " ताईजी, क्या कहूं आपसे!  मेरी छकुली का  जन्मदिन भी उसी दिन है।  मेरी बच्ची जिद कर रही है कि मुझे अपना बर्थडे मनाना चाहिए।  लेकिन मैं तो गरीब औरत हूँ!  और वह लड़की है अनाथ!  मैं अपनी तरफ से कुछ ना कुछ करती रहती हूं । लेकिन बच्ची की हौस मौज नहीं होती।" ऐसा कहकर दुर्गा दादीने आंख में आये आंसू पोछ लिए।

विनया के घर दुर्गादादी कई सालों से घर का काम कर रही थीं।  उनकी पोती छकुली।  विनया से दो साल छोटी।  छकुली जब छोटी थी तब उसके माता-पिता चल बसे थे।  तो दुर्गा दादीने उसकी देखभाल की।  विनया यह सब जानती थी;  लेकिन आज उसने इसे और अधिक तीव्रता से महसूस किया ...

 और उसे बहुत दुख हुआ।  वह कुछ उदास मन से सो गई;  लेकिन उसे नींद नहीं आई।  उसके के मन में बार बार छकुली के विचार आ रहे थे, सोचते-सोचते एकाएक उसके मन में एक सुन्दर विचार आया.... और विनया उस विचार से प्रसन्न होकर चैन की नींद सो गई।

आखिरकार जन्मदिन का दिन आ ही गया।शाम होते ही बर्थडे पार्टी शुरू हो गई... पर आज घर विनया का  नहीं था!  वह झोपड़ी जैसा छोटा कमरा था।  विनया और उसके दोस्तों द्वारा खूबसूरती से सजाया गया।  गुब्बारों... पेनेट्स... एक छोटी सी मेज... एक सुंदर नया आवरण जिस पर महीन बुनाई... एक छोटा फूलदान... उसमें बड़े करीने से लगे फूल... और दीवार पर...!

एक नहीं बल्कि दो दो नाम।  छकुली और विनया!  सामने दो केक ... आकर्षक रंग और स्वाद के!  नई साड़ी में बेहद खूबसूरत थीं दुर्गादादी... और विनया और छकुली!  उन दोनों ने एक जैसा फ्रॉक पहन रखा था।  विनया के बाबा द्वारा लाया गया!

आज छकुली के घर विनया और छकुली का जन्मदिन मनाया जा रहा था।  दोनों के दोस्त और कुछ रिश्तेदार आए थे।  सबका चेहरा खुशी, आश्चर्य और संतोष से भर गया।

विनया की मां ने दोनों को औक्षण किया और बधाई दी। फिर दोनों ने केक काटा।  सभी ने दोनों को तोहफे दिए और ताली बजाकर दोनों के जन्मदिन के गीत गाए और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की।  विनया के माता-पिता और रिश्तेदार मनोमन विनया की सराहना कर रहे थे।

उन्हें विनया पर बहुत गर्व था।  विनया का इस तरह जन्मदिन मनाने के विचार से हर कोई खुश था....और दुर्गा दादी की बेटी छकुली बेहद खुश नजर आ रही थी। आज उसका जन्मदिन मनाया गया;  लेकिन साथ ही आज उसे एक नई प्यारी सहेली मिल गई... इसलिए उसकी आँखें निरंजन की लौ की तरह खुशी से चमक उठीं!

(अनुवाद)

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