मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

रूस में फैंस ने राज कपूर को कार के साथ उठा लिया

भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास में राज कपूर का नाम प्रमुख है। बतौर शो मैन उन्होंने 'संगम', 'मेरा नाम जोकर', 'बॉबी', 'आवारा', 'श्री 420', 'बरसात' जैसी कई फिल्मों का निर्माण किया। वह फिल्मों के लिए देश-विदेश का दौरा करते थे और कथानक में जान डालते थे। वह अपनी हिट फिल्म 'मेरा नाम जोकर' के लिए रूस गए थे। जब उनके प्रशंसकों को इस बात का पता चला तो उन्होंने सचमुच में राज साहब को गाड़ी के साथ उठा लिया। इसके बारे में यह एक दिलचस्प कहानी है।

शोमैन राज कपूर हमेशा सिनेमा की दुनिया में एक व्यस्त व्यक्तित्व रहे हैं। उनके दिमाग में 24 घंटे सिनेमा का ख्याल हमेशा रहता था। उनकी पहली रंगीन फिल्म 'संगम' 1964 में रिलीज हुई थी। इससे पहले वह इस फिल्म के कलर प्रिंट के लिए इंग्लैंड गए थे। उनकी अगली महत्वाकांक्षी फिल्म थी 'मेरा नास जोकर' ! इस फिल्म में सर्कस का अपना एक अलग ही महत्व था और उस दौरान पूरी दुनिया में रूसी सर्कस का बोलबाला था। इंग्लैंड में रहते हुए, वह रूस के लिए रवाना हुए। वह वहां जाना चाहते थे और वहां के रूसी सर्कस के साथ अपनी आने वाली फिल्म पर चर्चा करना चाहते थे। लेकिन विमान में चढ़ने के बाद उंहें अहसास हुआ कि मेरे पास रूसी वीजा नहीं है। 

एयरपोर्ट पर उतरने के बाद वहां के अधिकारियों ने वीजा मांगा। राज ने असमर्थता व्यक्त की, लेकिन उसी वक्त एक इमिग्रेशन ऑफिसर ने राज कपूर को पहचान लिया और वो सामने आ गया। उसने राज कपूर से हाथ मिलाते हुए कहा, "वेलकम, राजकपूर वेलकम!" राज कपूर ने उसे सच बताया। उन्होंने राज कपूर को बैठाया और कहा, 'चिंता मत किजीए। मैं आपका वीजा एक मिनट में तैयार कर दूंगा।'  उसने ऐसा कहा और सचमुच अगले कुछ ही मिनटों में राज कपूर का वीजा तैयार हो गया। 

यह राज कपूर की लोकप्रियता का ही कमाल था। क्योंकि उस समय रूस में राज कपूर की फिल्मों को भारी लोकप्रियता मिल रही थी। असली मजा तो आगे ही है। वीजा मिलने के बाद राज कपूर एयरपोर्ट से बाहर आ गए। चूंकि उनकी आने की कोई योजना नहीं थी, यहां तक ​​कि रूसी सरकार द्वारा उन्हें हमेशा भेजी जाने वाली गाड़ी भी नहीं आई थी। इसलिए राज कपूर ने प्राइवेट टैक्सी से जाने का फैसला किया। तब तक एयरपोर्ट पर रूसियों को आभास हो गया कि राज कपूर वहां पहुंच गए हैं। वे पागलों की तरह राज कपूर के पास जमा हो गए और उनसे बातें करने लगे। हाथ मिलाने लगे। “आवारा हूं...' यह गीत कोरस में गाया जाने लगा। राज कपूर की मौजूदगी से पूरा एयरपोर्ट गदगद हो गया। उनमें से निकलकर राज कपूर अपनी टैक्सी में सवार हो गए, लेकिन टैक्सी के आसपास लोगों की भीड़ जमा हो गई। हर कोई राज कपूर को देखना चाहता था, उनसे मिलना चाहता था, हर कोई राज कपूर से हाथ मिलाना चाहता था। तो सबने राज कपूर की टैक्सी को सचमुच अपने कंधों पर उठा लिया और उनसे अभिवादन किया। रूस में किसी और कलाकार को इतनी बड़ी लोकप्रियता नहीं मिली! तभी एयरपोर्ट के सुरक्षा गार्ड वहां आ गए।  उसने राज को टैक्सी से बाहर आने और सबसे बात करने के लिए कहा। 

यह संस्मरण 3 सितंबर, 2016 को दिल्ली में पहले ब्रिक्स फिल्म समारोह के उद्घाटन के अवसर पर राज कपूर के दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर द्वारा साझा किया गया था।

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