सोमवार, 3 अप्रैल 2023

अच्छा खाना ही दवा है

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आज विश्व के पांच प्रतिशत वयस्क अवसाद से पीड़ित हैं। हम लगातार तरह-तरह के तनाव से गुजरते हैं, कई लोग सकारात्मक सोच अपनाकर इससे बाहर आ जाते हैं;  लेकिन जो इसे हासिल नहीं कर पाते उनके लिए तनाव डिप्रेशन में बदल जाता है। कई लोग नशे की लत में पड़ जाते हैं तो कुछ एलोपैथिक दवाएं लेते हैं। लेकिन कई बार इसके दुष्प्रभाव इसे अस्थाई समाधान बना देते हैं। ऐसे में क्या इंसान की आहार (डाइट) उसके लिए दवा हो सकती है? स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना में प्रो.  जोस फर्नांडीज रियल और उनके सहयोगियों के शोध ने इसका जवाब 'हां' में दिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि हमारे आहार में अमीनो एसिड 'प्रोलाइन' की बढ़ी हुई मात्रा भी अवसाद पैदा करने के लिए जिम्मेदार होती है। उनका शोध वैज्ञानिक पत्रिका 'सेल मेटाबोलिज्म' में प्रकाशित हुआ है। यह साबित करने के लिए कि अवसाद के लिए एक प्रोलाइन-समृद्ध आहार जिम्मेदार है, उन्होंने कुछ व्यक्तियों को प्रोलाइन-समृद्ध अंडे, डेयरी उत्पाद, मछली और अन्य मांसाहारी खाद्य पदार्थों का प्रोटीन युक्त आहार दिया। सभी व्यक्तियों को एक विशिष्ट स्वास्थ्य प्रश्नावली दी गई थी। जब उनके रक्त का परीक्षण किया गया, तो कुछ व्यक्तियों में प्रोलाइन का स्तर ऊंचा था और सवालों के जवाब में अवसाद स्पष्ट था। हालांकि, कुछ में यह रक्त में ऊंचा नहीं था, इसलिए अवसाद का पता नहीं चला। जब वैज्ञानिकों ने इसके पीछे के कारणों की तलाश की तो उन्हें इन व्यक्तियों की आंत में विशिष्ट बैक्टीरिया मिले, जो आहार में अतिरिक्त प्रोलाइन को नियंत्रित करते थे। डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों में इन बैक्टीरिया की कमी पाई गई। 

वे कहते हैं कि अवसाद को नियंत्रित करने के लिए मांसाहारी खाद्य पदार्थ, दूध, अंडे, मछली के आहार को नियंत्रित करते हुए गोभी, दालों का अधिक सेवन करना वांछनीय है।  आखिर वे कहते हैं, 'खाना ही दवा है।'

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