मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

(बाल कहानी) सच्ची ताकत

राजा कृष्णदेवराय की बहुत दिनों से इच्छा थी।  वह चाहता था कि उसकी विजयनगरी सुंदर हो।  रोषणाई हो,  कला की विरासत को संरक्षित हो। उसने फिर योजना बनाई।  मंत्रिमंडल ने काम करना शुरू कर दिया।  कई कारीगर दिन-रात काम करने लगे।  लाखों रुपये खर्च किए गए।
 और फिर एक दिन उनका सपना सच हो गया। विजयनगर को वह रूप दिया गया जो वह चाहते थे।  राजा बहुत खुश हुआ।  राजा ने अपने मंत्रिमंडल के साथ शहर का दौरा किया।  पूरे शहर की सराहना की।  तब उसने सोचा कि यह खुशी मनाई जानी चाहिए।
 फिर उन्होंने एक राज्यव्यापी उत्सव का आदेश दिया।  कस्बे को सजाया गया था।  रोषणाई, मिठाइयाँ, नृत्य, गायन, वादन, भोज, समारोह सभी जगह होने लगे। सभी जगह  खुशी का मोहल था।  राजा ने स्वयं दरबारियों को उपहार और दावतें दीं।  इस सारे खुशी के मोहल में तेनालीराम अकेले चुप थे।  बाकी मंत्री राजा की चापलूसी कर रहे थे।  लेकिन तेनालीराम को चुप देखकर, किसी ने कहा, "महाराज, तेनालीराम खुश नहीं लगता। आपने शहर को सुंदर बनाने के लिए बहुत मेहनत की है, लेकिन वह इसकी सराहना नहीं करता है।"
 फिर क्या!  राजा नाराज हो गया। उसने कहा, "क्या, तेनाली? मैं क्या सुन रहा हूं? क्या यह सच है? क्या तुम विजयनगर को सुंदर बनाने के बारे में खुश नहीं हो?"
 तेनालीराम ने कहा, "नहीं, महाराज। हमारा शहर बहुत सुंदर हो गया है। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन ...
 "अब लेकिन-बेकीन क्या?"  राजा के माथे पर प्रश्न चिहन दिखने लगा।
 तेनालीराम ने कहा, "लेकिन महाराज, मेरी राय में असली सुंदरता अलग है।"
 "इससे अलग? फिर कहाँ है? हमें दिखाओ!"  राजा ने आश्चर्य में कहा।
 तेनालीराम ने कहा, "लेकिन इसके लिए आपको मेरे साथ बाहर आना होगा।"
 राजा तैयार हो गया और तेनालीराम के साथ बाहर चला गया।  तेनालीराम राजा को गाँव के बाहर एक बस्ती में ले गया।  छोटी-छोटी झोपड़ियों में कई गरीब लोग रहते थे।
 राजा ने पूछा, "तेनालीराम ये लोग कौन हैं? और यहाँ क्या सुंदर है?"
 तेनालीराम ने कहा, "महाराज, इन कारीगरों और मजदूरों ने, जिन्होंने हमारे शहर को सुंदर बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की है।"
 उस क्षण, लोगों ने राजा को देखा, तो वे सभी दौड़ कर वहाँ एकत्रित हो गए।  उन्होंने राजा से बहुत शिकायत की।  उन्हें ठीक से भुगतान नहीं किया गया था, उनके पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं था, उनके पास अच्छा पानी नहीं था, उनके पास पूरे कपड़े नहीं थे। हर जगह गंदगी थी।
 राजा ने तुरंत मंत्रिमंडल को तुरंत शिकायतों के निवारण का आदेश दिया।  यह सुनकर, सभी शिल्पकार, पुराने और युवा लॉग आनन्दित हुए।  तेनालीराम ने कहा, "महाराज, क्या आपने देखा? इन लोगों के चेहरे पर खुशी और आपके लिए सम्मान! इस से ज्यादा सुंदर क्या हो सकता है?"
 महाराज मुस्कुराए।  कहा, "सच तेनालीराम। पता चला हमें। सच्ची सुंदरता यही है।"  -मच्छिंद्र ऐनापुरे, सांगली (महाराष्ट्र)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें