मंगलवार, 12 मई 2020

(बाल कहानी) जादु के कंकड्

   
इंदु एक छोटीशी कुटीया में मॉं के साथ रहती थी। इंदु की मॉं फुलों का हार-गजरा बनाकर बिकती थी और अपना घर चलाती थी। इंदु स्कूल जाती थी और मॉं के काम में हाथ बटाती थी। एक दिन इंदु की मॉं बिमार पड गई। इंदु ने उसे डाक्टर के पास ले गई। डाक्टर बोले, इन्हे सक्त आराम की जरुरत है। आँखों पर तान आनेवाला  कौन-सा भी काम करने नहीं देना और घर के बाहर भी जाने मत देना। डाक्टर ने दवाईयॉं लिखकर दी। मॉं और इंदु के सामने सवाल खडा हुआ, अब क्या  करें? पहले सेही  घर में गरिबी, उस में आराम और दवाओं का खर्चा. ये सब कैसे होगा?

( बाल कहानी) ड्रैगन के आंसू

 बहुत दूर के गाँव से की यह कहानी!  गाँव शहर से बहुत दूर और बहुत छोटा था।  गाँव में एक छोटी सी बस्ती थी।  कुछ लोग, बच्चे वहाँ रहते थे।
 उस गाँव के बाहर एक पहाड़ था।  लेकिन गांव के लोग कभी उस पहाड़ पर नहीं गए थे। वो इतना बड़ा नहीं था,  लेकिन वयस्कों ने छोटे बच्चों को भी वहां कभी नहीं भेजा।  उसका एक कारण था।

गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

हंस लो जरा


दो कदम
पुलिस (चोर): खबरदार, अगर  एक कदम भी आगे बढ़ाया, तो तुझे जेल में डाल दिया जायेगा।
चोर: ठीक है!  फिर मैं दो कदम आगे बढ़ता हूं।
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भार
डॉक्टर: भीमाबाई, आपने एक महीने तक घोड़े की सवारी की। फिर अपका वजन कम हुआ ना?
भीमाबाई: हां,  पर मेरे बजाय केवल घोडे का कम हुआ।

(पुलों की पहचान) नर्मदा ब्रिज


आयरन 'गोल्डन' पूल!
 नर्मदा नदी भारत की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। इसका धार्मिक महत्व भी है।  इस नदी पर गुजरात में अंकलेश्वर और भरूच के बीच का पुल देश का सबसे पुराना पुल माना जाता है।  अंग्रेजों के भारत पर शासन करने के बाद, गुजरात से मुंबई तक पहुंचने की सुविधा के लिए पुल का निर्माण किया गया था।

लोनार झील

दोस्तों,मैं महाराष्ट्र राज्य के बुलढाणा जिले में स्थित एक खारे पानी की झील हूँ।  उल्कापिंड से मेरी निर्मिती हो गई है।  मैं बेसाल्ट चट्टान में एकमात्र बड़े प्रभाव छेद के रूप में विश्व प्रसिद्ध हूं।  दोस्तो, अब तक आपको मेरा नाम पता हो गया होगा।  मैं लोनार झील।  यदि आप पृथ्वी के गठन का इतिहास जानना चाहते हैं, तो आपको उल्कापिंड  का अध्ययन भी (आघात विवर) करने की आवश्यकता है।  इसीलिए आज मैं आपको अपनी जन्म कथा सुनाने जा रहा हूँ।

मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

खुशी पर फिरा पानी

शेखर और शर्मिला को आज शाम बहुत दिनों के बाद एक साथ टहलने जाने का मौका मिला।  क्योंकि बच्चों की परीक्षाएं समाप्त हो गई थीं और वह दो दिनों से दादा-दादी के यहां  गए थे।  शर्मिला एक बैंक में नौकरी करती थी।  और शेखर  कंपनी में शिफ्ट में काम करता था।  ऐसे माहौल में, उन दोनों के लिए दो घंटे एक साथ बिताना संभव नहीं था।  पिछले पांच-छह महीनों में आज पहली बार, उंहें थोड़ा समय मिला था।  शाम को सभी सड़कों पर भीड़ होती है। 

(बाल कहानी) सच्ची ताकत

राजा कृष्णदेवराय की बहुत दिनों से इच्छा थी।  वह चाहता था कि उसकी विजयनगरी सुंदर हो।  रोषणाई हो,  कला की विरासत को संरक्षित हो। उसने फिर योजना बनाई।  मंत्रिमंडल ने काम करना शुरू कर दिया।  कई कारीगर दिन-रात काम करने लगे।  लाखों रुपये खर्च किए गए।
 और फिर एक दिन उनका सपना सच हो गया। विजयनगर को वह रूप दिया गया जो वह चाहते थे।  राजा बहुत खुश हुआ।  राजा ने अपने मंत्रिमंडल के साथ शहर का दौरा किया।  पूरे शहर की सराहना की।  तब उसने सोचा कि यह खुशी मनाई जानी चाहिए।