बुधवार, 10 मई 2023

भविष्य में पानी को लेकर संघर्ष भड़कने की संभावना

आने वाले समय में दुनिया को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। हमारे पास इस संबंध में उपायों की कमी है;  योजनाओं की योजना बनाने और क्रियान्वयन में देरी से प्रयासों में बाधा आ रही है।इसलिए सरकार को उपाय करना चाहिए।  दुनिया भर में अरबों लोग अभी भी सुरक्षित, स्वच्छ पेयजल के बिना जी रहे हैं। हालांकि सुरक्षित, स्वच्छ एक अधिकार है, लेकिन अरबों लोग इससे दूर हैं।  पानी और गरीबी का गहरा संबंध है। जल के बिना विकास नहीं होता और विकास के बिना गरीबी उन्मूलन असम्भव है। अगर विकास करना है तो दुनिया के सामने मौजूद ज्वलंत मुद्दों का समाधान खोजना जरूरी है। जल इसमें मूल और महत्वपूर्ण तत्व है। पहला संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन मार्च में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में इस बात पर चर्चा हुई कि 2030 तक विश्व में सभी को पेयजल उपलब्ध हो, इसके लिए सतत विकास की आवश्यकता है। दुनिया भर में उपलब्ध पानी का कुल 70% कृषि के लिए उपयोग किया जाता है;  जबकि 22 फीसदी पानी घरेलू उपयोग में खर्च होता है। उद्योगों के लिए 9% पानी का उपयोग किया जाता है।  लेकिन कुल पानी का 50% भूमिगत स्रोतों से उपयोग किया जाता है। सत्रह देशों में लगभग 1.8 बिलियन लोग, या दुनिया की एक चौथाई आबादी, जल संकट का सामना कर रही है। 

अगले कुछ वर्षों में गंभीर कमी की संभावना के साथ, एक समय ऐसा आएगा जब आने वाली पीढ़ियां कैप्सूल के रूप में पानी देखेंगी। देशों की रैंकिंग और उनका जोखिम स्तर इस प्रकार है - कतर -4.97 बहुत अधिक, इज़राइल -4.82, लेबनान -4.82, ईरान -4.57, जॉर्डन -4.56, लीबिया -4.55, कुवैत -4.43, सऊदी अरब -4.35, इरिट्रिया - 4.33, संयुक्त अरब अमीरात- 4.26, सैन मैरिनो- 4.14, बहरीन- 4.13, भारत- 4.12 बहुत अधिक। (स्रोत: वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट का एक्वाडक्ट वॉटर रिस्क एटलस)। अत्यधिक उच्च जल तनाव के जोखिम वाले देशों की सूची में तेरहवें स्थान पर भारत, श्रेणी में अन्य 16 देशों की आबादी का तीन गुना है। भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का अठारह प्रतिशत है। हमारा उपलब्ध पानी वैश्विक भंडार का केवल 4% है। इतना ही नहीं, आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को प्रतिदिन अत्यधिक जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। कुल भारतीय आबादी के लगभग छह प्रतिशत लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है। लगभग 54% भारतीयों के पास दैनिक घरेलू स्नान और शौचालय के उपयोग के लिए पानी की सुविधा नहीं है। 

हाल ही में संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। बढ़ती आबादी और पानी के अत्यधिक दोहन के कारण भूजल स्तर घट रहा है। परिणामस्वरूप 2001 में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 1.8 लाख 16 हजार लीटर प्रतिवर्ष थी जो 2011 में घटकर 1.5 लाख 45 हजार लीटर रह गई। 2021 में अगर यह मात्रा 14 लाख 86 हजार लीटर हो जाती है;  वर्ष 2031, 2041 एवं 2051 में जल उपलब्धता में क्रमशः 1486 घन मीटर, 1367 घन मीटर, 1282 घन मीटर की कमी हो सकती है। 

जलवायु परिवर्तन और बढ़ते समुद्र के स्तर के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में सूखे की स्थिति सुरक्षित पेयजल या स्वच्छता के लिए पानी को अपर्याप्त बना रही है। ग्लोबल वार्मिंग, तेजी से हो रहे औद्योगीकरण, जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, भूजल स्तर में कमी और वर्षा की अनियमितता, बढ़ते प्रदूषण के कारण कई जगहों पर जलाशयों और झीलों  गायब हो रहे हैं।बेशक, ऐसा नहीं है कि सभी स्तरों पर अरुचि है। कई जगहों पर पानी के पुनर्चक्रण, नदियों को शुद्ध या पुनर्जीवित करने की पहल की गई है। लेकिन ये गतिविधियाँ जल संकट से उबरने में कितनी उपयोगी होंगी? 2019 में, देश के 256 पानी की कमी वाले जिलों में जल शक्ति अभियान चलाया गया। आज यह 740 जिलों में चल रहा है। इस मामले को केंद्र और राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना चाहिए। अक्सर, नीतियों या जल कानूनों में त्रुटियां, प्रावधान देश में समग्र जल प्रबंधन पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। सतह और भूमिगत जल, पेयजल, कृषि जल और औद्योगिक जल के संबंध में नीति में कई खामियां या दोष हैं। केंद्र ने आजादी की वर्षगांठ के वर्षों के दौरान प्रत्येक जिले में कम से कम पचहत्तर जल जलाशयों या तालियों को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई है। 

भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए, केंद्र सरकार ने 2019 के मास्टर प्लान के तहत देश भर में 1.11 करोड़ जल संचयन परियोजनाएं स्थापित करने की योजना बनाई है। केंद्र सरकार ने 2015 में अटल मिशन के तहत देश के 500 शहरों को पांच साल के लिए चुना है। इसमें जल आपूर्ति से लेकर वर्षा जल संचयन तक की योजनाएं हैं। फिर भी पानी की किल्लत बनी हुई है। इसके उदाहरण चेन्नई और बैंगलोर हैं। भविष्य में अन्य शहरों में भी ऐसा ही जल संकट महसूस किया जा सकता है। इसलिए अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में पानी को लेकर संघर्ष भड़क सकता है। कई देशों ने पानी की कमी को सफलतापूर्वक दूर कर लिया है। इज़राइल ने ड्रिप सिंचाई का सफलतापूर्वक उपयोग कर दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की है। आज वे जॉर्डन को पानी निर्यात करते हैं। सिंगापुर की चालीस प्रतिशत ज़रूरतें जल पुनर्चक्रण के माध्यम से पूरी की जाती हैं। हम एक अकुशल दुनिया में रहते हैं जहां पानी की कमी है और पानी एक ही समय में बर्बाद हो जाता है। समय रहते ठोस और उचित उपाय किए जाने चाहिए।  अन्यथा, निकट भविष्य में पानी को लेकर संघर्ष भड़कने की संभावना है। -मच्छिंद्र ऐनापुरे, जत जि. सांगली 

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