इंदु एक छोटीशी कुटीया में मॉं के साथ रहती थी। इंदु की मॉं फुलों का हार-गजरा बनाकर बिकती थी और अपना घर चलाती थी। इंदु स्कूल जाती थी और मॉं के काम में हाथ बटाती थी। एक दिन इंदु की मॉं बिमार पड गई। इंदु ने उसे डाक्टर के पास ले गई। डाक्टर बोले, इन्हे सक्त आराम की जरुरत है। आँखों पर तान आनेवाला कौन-सा भी काम करने नहीं देना और घर के बाहर भी जाने मत देना। डाक्टर ने दवाईयॉं लिखकर दी। मॉं और इंदु के सामने सवाल खडा हुआ, अब क्या करें? पहले सेही घर में गरिबी, उस में आराम और दवाओं का खर्चा. ये सब कैसे होगा?
मंगलवार, 12 मई 2020
(बाल कहानी) जादु के कंकड्
इंदु एक छोटीशी कुटीया में मॉं के साथ रहती थी। इंदु की मॉं फुलों का हार-गजरा बनाकर बिकती थी और अपना घर चलाती थी। इंदु स्कूल जाती थी और मॉं के काम में हाथ बटाती थी। एक दिन इंदु की मॉं बिमार पड गई। इंदु ने उसे डाक्टर के पास ले गई। डाक्टर बोले, इन्हे सक्त आराम की जरुरत है। आँखों पर तान आनेवाला कौन-सा भी काम करने नहीं देना और घर के बाहर भी जाने मत देना। डाक्टर ने दवाईयॉं लिखकर दी। मॉं और इंदु के सामने सवाल खडा हुआ, अब क्या करें? पहले सेही घर में गरिबी, उस में आराम और दवाओं का खर्चा. ये सब कैसे होगा?
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