शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

(children story) मेहनत ही पुजा



'मेरे शब्दकोश में अशक्य नाम का कोई शब्द नहीं है।' ऐसा नेपोलियन बोनापार्ट गर्व से कहता था।उन्हें सफल सेनापती के रुप में सारा विश्व देखता था। उनके पिताजी का नाम चार्ल्स और माता का नाम लितीशिया था। फ्रान्स में राजघराणों में खूब अंदाधुंदी मच गई थी। ऐसे वक्त में उन्होंने इटली पर जय हासिल किया। इसी कारण नेपोलियन का बडा नाम हो गया और उनकी दहशत सभी जगह बन गई। आगे उन्होंने अनेक युद्धों में विजय हासिल कर दिया। इजिप्त,तुर्कस्तान इनकी विरोध में राजनीति यशस्वी कर दिखाई। मार्च, 1804 में वे फ्रान्स के अनभिषिक्त सम्राट बन गये। उनकी संपूर्ण युरोप पर दहशत बन गई। अपने सैन्य सुसज्ज रखने पर उनका भर था। इन सुसज्ज सैन्य के बदौलत वे हर जगह सफल बनते गये। ड्यूक ऑफ वेलिंग्टन उनके बारे में हमेशा कहते रहते थे की, 'अकेला नेपोलियन लढाई के मैदान में होना पन्नास हजार सैन्य के बराबर था।'

नेपोलियन एक बार अपनी पत्नी मेरी लुईस के साथ पैरिस में घुमने गये थे। राजा होने के कारण उनके साथ सैन्यों की टीम मौजूद थी। सडक पर से लकडियों की मुळी सिर पर लाद कर एक श्रमिक आदमी आगे से आ रहा था। वो नजदीक आने पर नेपोलियन ने अपनी पत्नी को रास्ते से हटने को कहा और स्वयं उसे रास्ता बनाकर दे दिया। लडकियों का बोझ ढोकर जानेवाले उस श्रमिक का वर्तन नेपोलियन की पत्नी को अच्छा नहीं लगा। वो क्रोध के मारे अपने पती से कहने लगी," सामने से सम्राट आते देखकर भी  ,वो आदमी प्रणाम करते बिगर आगे निकल गया। उस आदमी के गलती के लिए उसे दंड मिलना चाहिए। " इसपर नेपोलियन ने कहा, " वो श्रमिक है। उसके श्रम के कारण ही अपना यह साम्राज्य बन गया है। शायद तुझे श्रम का मोल पता नहीं, इसलिए तू ऐसा कह रही है। एक बात ध्यान में रख दो। मेहनत की पुजा ही राजा को किया गया अभिवादन से ही महान होता है।"

(children story) गर्वाहरण


     कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के अधिपती थे। तेनालीराम जैसे अनेक विद्वानों को उनके दरबार में आदरणीय स्थान था। 
एक दिन एक महापंडित उनके दरबार में आये। उन्हे उनके पांडित्य का बड़ा गर्व था।दरबार में उनका वर्तन बहुत ही अहंकारी था। सौ शिष्यों के साथ वे दरबार में पदारे थे और आते ही पहला सवाल किया,"मेरे साथ शास्त्रार्थ करने की योग्यता दरबार के किस के पास है?" दरबार में सन्नाटा छा गया। तभी तेनालीराम कह उठा,'मैं कल आप के साथ शास्त्रार्थ करने के लिए तयार हूँ।'
दुसरे दिन वो महापंडित दरबार में आने से पहले ही तेनालीराम सब तैयारी कर के दरबार में आ पहुँचा। वे एक बड़ा सा ग्रंथ लेकर आसन पर बैठ गये। उनके पास बैठे विद्वानों के साथ चर्चा करने लगे। 

इतने में महापंडित वहाँ आ गये। तेनालीराम से उन्होंने पूछा," किस बात पर चर्चा हो रही है?"
तेनालीराम विनम्रता से कहने लगे,"मैं इन्हें 'तिलकाष्ठमहीषबंधन' इस ग्रंथ का दर्शन समझा रहा हूँ। आप को यह ग्रंथ तो मालूमही होगा...."
महापंडित उनके जीवन में पहिली बार इस ग्रंथ का नाम सून रहे थे। 'मालूम नहीं' कह दिया होता,तो उनकी असफलता उजागर हो जाती थी।इसलिए उन्होंने कहा," मेरा इस ग्रंथ पर गाढ़ा अभ्यास है।" इस पर तेनालीराम ने कहा," तो चलिए, हम इसी ग्रंथ पर शास्त्रार्थ करेंगे।" यह सुनकर महापंडित घबरा गये। "आज मेरे पेट में दर्द हो रहा है। हम कल इस पर शास्त्रार्थ करेंगे। ऐसा कहकर वो दरबार से चले गये। उन्होंने वो ग्रंथ ढूँढ़ने का बहुत प्रयास किया,पर उन्हें नहीं मिला। वो सबेरे जल्दी ही उठकर राजधानी छोड़ चला गया।
तेनालीराम की हुशारी पर महाराजा को गर्व महसूस हुआ। महाराज ने उसे इस बारे में पूछा। तेनालीराम ने कहा,"विद्वत्ता और अहंकार कभी भी एक जगह नहीं रह सकते। मैं उस महापंडित को देखते ही पहचान गया था। असल में 'तिलकाष्ठमहीषबंधन' ऐसा कोई ग्रंथ ही नहीं है। उसने ग्रंथ के उपर ढका हुआ कपड़ा निकाल दिया। उस में  तिल की लंबी लकड़ियाँ थी,जिसे एक धागे से बाँधा गया था।

पालतू जानवरों की परवाह कैसे करें


     पालतू जानवर घर में रहता है,तो घर का वातावरण बदल जाता है। यह मुका सोबती अपने भावविश्व में जगह मिलाता है। इसलिए अनेक घरों में जानवर पालने के लिए प्राथमिकता दी जाती है। किंतु अभी पालतू जानवर खरिदने के बजाय दत्तक लेने का ट्रेंड दिखाई देता है। लेकिन इस जानवरों की विशेष निगा रखनी होती है। प्राणीमित्र संस्थाएं जानवर दत्तक लेने के प्रक्रिये को समर्थन दे रहे हैं। पालतू जानवर दत्तक लेने पर उसकी निगाह कैसे रखें, इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए।

1)   जानवर दत्तक लेने तुरंत बाद उसकी संपूर्ण चिकित्सा करनी चाहिए। उसकी हेल्थ हिस्टरी जान लेने के बाद उसे टीकाकरण करना आवश्यक है। इसके लिए उन्हें पेट ग्रुमिंग सेंटर ले जाना चाहिए। यह करने से उसे नये घर में असुविधा नही होगी।
2)   उसे घर में लाने के बाद जानवर का हर रोज कसरत होता है या नहीं, यह देखना चाहिए। कुत्ता हो तो, उसे रोज घुमने ले जाना चाहिए। नहीं तो वे नये घर में मोटे हो जाते हैं।
3)   जानवर दत्तक लेने बाद उसका घर के मालक से सूर मिलना चाहिए। दोन्हों की केमेस्ट्री मिलनी चाहिए। इसके लिए जानवर को पुरा वक्त मिलना चाहिए, इसकी खबरदारी लेनी चाहिए। पहले पहले जानवर को खिलाना चाहिए। उसे घमने के लेने ले जाना चाहिए। उसे प्यार से बोलना चाहिए। यह महत्त्वपूर्ण चिजें हैं।
4)   नये घर में उसका आगमन होने के बाद उसे स्थीर होने के लिए समय देना चाहिए। उसका पीठ थपथपाए। ऐसा करने से घर के वातावरण में जल्दीही वे रममाण हो जाते हैं।
5)   उसका अति लाड प्यार ना करें। उसे अनुशासन में रखें।