एक बड़े घर के बगीचे में कोहराम मच गया। पूरे बगीचे को पत्तों और फूलों से सजाया गया था। हरी लताओं का मंडप सुंदर लग रहा था। प्रवेश द्वार के पास अंगूर के गुच्छे स्वागत की तैयारी कर रहे थे। क्योंकि बाग में फलों का जमावड़ा होने वाला था। धीरे-धीरे सारे फल बगीचे में जमा होने लगे। नासिक के अंगूर, नागपुर के संतरे, वसई जलगाँव के केले, पनवेल के कलिंगद... सभी क्षेत्रों से फल एकत्र आये थे।
अनानस, सेब सब आ गये थे। जंभूल और बोर सभी से पूछताछ कर रहे थे। केले और पपीते सभी को अपने अपने जगह पर बैठा रहे थे। नारियल, सेब, चूजा चुपचाप एक कोने में बैठे थे। बाग के सभी फल आज की बैठक के मुख्य अतिथि का इंतजार कर रहे थे। इसी बीच बगीचे के बाहर से शोर मचाते हुए तोतों का झुंड बगीचे में आने लगा। तब कोयल ने कहा, “आओ, आओ, मेहमान आए हैं। आइए स्वागत करते हैं।"
सभी फल सतर्क हो गए और बगीचे के प्रवेश द्वार की ओर देखने लगे। बोराओं ने दो पंक्तियाँ बनाईं और उनके माध्यम से आज की बैठक के अतिथि आमसिंह और उनके साथी ऐट से चले आ रहे थे। एक ऊँचे स्थान पर 'फलों का राजा आम' यानी आमसिंह महाराज विराजमान हुए। उसके साथी इधर-उधर खड़े रहे। सभी फल उनके-अपने स्थान पर बैठ गये और समारोह शुरू हुआ।
दलीम्बाराव ने सभी का स्वागत किया। कोयल ने मधुर स्वर में गाना गाया। जलगाँव के पीले धम्मक केले ने मनमोहक नृत्य किया। कलिंगदों ने नाटक का प्रदर्शन किया, जबकि संत्रीने कहानियां सुनाईं।
यह सब चल ही रहा था कि एक कोने में चीकू और सेब के बीच फुसफुसाहट चल रही थी। पेरू ने उसकी बात सुनी और बीच में पेरू ने जोर से कहा, " महाराज, सेब के पास शिकायत करने के लिए कुछ है।" सब लोग सेब को देखने लगे। किसी ने कहा, ''उनकी बिल्कुल मत सुनो।'' जब सबने शोर मचाना शुरू किया तो आमसिंह महाराज ने कहा, ''रुको, चुप रहो। बोलने दो।''
सेब ने कहा, 'हम सभी को ताकत देते हैं, बीमारी से निजात दिलाते हैं। तो राजा का सम्मान केवल आपके लिए ही क्यों है? मुझे भी राजा बनना है।'' कुछ ने विरोध किया तो कुछ ने सेब के दावे का जोरदार समर्थन किया।सभी कार्यक्रमों में हड़कंप मच गया। तभी एक बड़ा हरा कलिंगद आगे आया और सभी को शांत किया और कहा, "देखो, मेरे दोस्तों, फलों का राजा 'आम' यानी हमारे आमसिंह महाराज ही क्यों? ये चुपचाप सुनो।'' सब चुपचाप सुनने लगे।
“हम सब सभी के लिए उपयोगी हैं; लेकिन हमारे राजा आम क्यों? तो सुनिए! आम की मीठी महक, इसकी पत्तियों और टहनियों का प्रयोग त्योहारों में किया जाता है। मंगल के अवसर पर हर घर में पत्ता तोरण लगाया जाता है। आम का जूस अमरस सभी को पसंद होता है। आम की बर्फी, कैरी का अचार, आम की वड़ी सभी को पसंद होती है. इसके अलावा आमसिंह महाराज को हर साल विदेश से बुलाया जाता है। इससे आम उत्पादकों को भी अच्छी कीमत मिलती है। लकड़ी भी मजबूत होती है।
इन सभी गुणों के कारण उन्हें "फलों का राजा" कहा जाता है, समझे?तो हमें भी उनका सम्मान करना चाहिए। क्या यह सच है? कलिंगदा के भाषण से सभी खुश थे और जयकारे लगाते रहे, "हमारे राजाओं की जय!", श्रुती ने नींद में ही अपने हाथों से तालीयां बजाई, जैसे दादाजी ने कहा, 'अरे श्रुती, उठो! देखो, मैं तुम्हारे लिए आम की पेटी लाया हूँ। क्या तुम्हें आम पसंद है?'' श्रुती जल्दी से उठ बैठी।
अनुवाद -मच्छिंद्र ऐनापुरे
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