एक दादी थी। उसकी एक पोती थी। उसका नाम था माधुरी। घर में सिर्फ दो ही रहते थे। दोनों को बिल्लियों से बेहद लगाव था। उन्होंने घर में चार बिल्लियाँ पाल रखी थीं। एक का नाम बोकोबा था। दूसरा सोकोबा था।तीसरा कालोबा और चौथा सालोबा।
एक बार क्या हुआ! दादी बाजार गई। माधुरी घर में सो रही थी। घर में बिल्लियां भी थीं। दादी ने माखन ऊँचे पर रखा था। उसे बिल्लियों ने देखा था। वे मक्खन प्राप्त करना चाहते थे। छलांग लगाकर उन तक नहीं पहुंचा जा सकता था। वहाँ माधुरी सो रही थी। बिल्लियों ने सोचा कि उनका शोर सुनकर वह जाग जाएगी और सारी योजना बेकार हो जाएगी। तब बोकोबा ने सोकोबा को करीब बुलाया। सोकोबा ने धीरे से कालोबा और सालोबा बुलाया।
अब बोकोबा, सोकोबो, कालोबा और सालोबा सभी इकट्ठे हुए। लेकिन मक्खन कैसे मिलेगा?
सब सोचने लगे। छोटा सालोबा बहुत होशियार था। वह कहने लगा, "बोकोबा, हम एक के ऊपर एक खड़े होंगे।"
हो गया! योजना तय की गई और बोकोबा पर सोकोबा खडा हो गया। फिर सोकोबा पर कालोबा, कालोबा पर सालोबा।इस प्रकार दहीहंडी का निर्माण हुआ।
माधुरी दूसरी तरफ सो रही थी। वह अचानक जाग गई। देखा तो सामने बिल्लीयों का दहीहंडी! उसे इसका आनंद हुआ। उसने चारों ओर देखा। दरवाजे पर वही दादी दिखाई दी। माधुरी खुशी से चीख उठी। "दादी, दादी जल्दी आओ। बिल्लियों की दहीहंडी देखो।"
बिल्लियाँ डर गईं और मक्खन छोड़कर भाग गईं। (अनुवाद)
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