विनय घर में सभी का प्यारा; लेकिन लाड़-प्यार के कारण कुछ जिद्दी बना है। उसे हर काम के लिए मां की जरूरत होती है। पढ़ना, खाना, सैर पर जाना, अपना सामान ढूंढ़ना, सभी काम के लिए उसे मां की जरूरत होती है। माँ भी उसका काम करने में खुश थी; और इसीलिए उसने खुद काम करने की आदत को तोड़ा।
माँ उसे कहा करती थी, “ विनय, अपना काम खुद करो। यह हमें खुशी देता है; लेकिन अगर हम कभी बाहर जाते हैं तो हमें कोई दिक्कत नहीं होगी।" विनय ने कहा, "माँ, मैं बड़ा हो जाऊंगा, तब मैं अपना काम खुद करूँगा और वैसे भी मैं अकेला कहाँ जा रहा हूँ?"
माँ अनुत्तर हो जाती। एक दिन विनय स्कूल से डांस करते करते घर आया। वह दरवाजे से चिल्लाया, “माँ, हमारा स्कूल कैंप चिंचवड़े गाँव जा रहा है। यह दो दिवसीय शिविर है। हम एक तंबू में रहने वाले हैं और खाना पकाने सहित सभी काम करनेवाले हैं।" माँ चिंतित हो गई। सादा पानी चाहिए, तो देना पड़ता है और यह कैसे काम करेगा?
माँ ने विनय के पिता को बताया। बाबा ने कहा, “वह अन्य बच्चों के साथ-साथ काम भी सीख जायेगा। वह आत्मनिर्भरता सीखेगा।" माता-पिता ने अनुमति दे दी। विनय को कहा गया, ''तुझे अभी से खुद को तैयार कर लेना चाहिए। अगर तुझे कोई सामान चाहिए तो बैग में रख दे।” विनय तैयार हो गया। उसने सामान इकट्ठा किया और उन्हें बैग में भर दिया। वह थक गया था; लेकिन उसने काम करना जारी रखा ताकि उसके माता-पिता अनुमति से इनकार न करें।
वास्तव में जाने का दिन आ गया। विनय उत्साह से स्कूल पहुंचा। सभी लोग बस से चिंचवड़े गांव पहुंचे। सभी ने अपना-अपना सामान उतार दिया। शिक्षक द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार तम्बू बनाया गया था। सर ने सभी को काम बांट दिया। शाम के भोजन की तैयारी करनी थी।विनय को चूल्हा जलाने के लिए आसपास पड़ी लकड़ी लाने का काम मिला। कोई सब्जी उठा रहा था तो कोई राईस के लिए चावल धो रहा था। बच्चे रुचि के साथ काम कर रहे थे।
विनय ने आसपास के खेतों में पड़ी लकड़ियों को इकट्ठा किया। विनय पसीना बहा रहा था; लेकिन उसने इसका आनंद लिया। बच्चों ने टीचर के मार्गदर्शन में राईस और सब्जियां पकाईं। काम की वजह से सभी को भूख लगी थी। पंगत बनाकर सब ने आनंद से भोजन किया। रात में टीचर ने शेकोटी जला दी। शेकोटी के पास बैठकर बच्चों ने गीत का कार्यक्रम किया। दिन भर की कड़ी मेहनत और शारीरिक परिश्रम के बाद वे सब तुरंत सो गये। सोते समय विनय ने सोचा, 'जब मैं घर पर होता हूं तो कुछ नहीं करता था। सब काम माँ करती है।
वह सब कुछ करते हुए कितनी थकती हुई होगी। विनय ने फैसला किया, 'यहां से घर जाने के बाद मैं अपना काम खुद करुंगा। उसने ठाण लिया, अब वह अपनी मां को कभी परेशान नहीं करेगा। वह कब सो गया पता ही नहीं चला।
शिविर ने उन्हें सिखाया कि आत्मनिर्भरता क्या है और यह कितना आनंद लाती है। (अनुवाद)
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