बहुत दूर के गाँव से की यह कहानी! गाँव शहर से बहुत दूर और बहुत छोटा था। गाँव में एक छोटी सी बस्ती थी। कुछ लोग, बच्चे वहाँ रहते थे।
उस गाँव के बाहर एक पहाड़ था। लेकिन गांव के लोग कभी उस पहाड़ पर नहीं गए थे। वो इतना बड़ा नहीं था, लेकिन वयस्कों ने छोटे बच्चों को भी वहां कभी नहीं भेजा। उसका एक कारण था।
उस पहाड़ पर एक गुफा थी और एक ड्रैगन उस गुफा में रह रहा था। लाल आंखोंवाला। रात के अंधेरे में, वे आँखें आग की गोले की तरह लगते थे।
गाँव के लोग कहते थे, क्या भयंकर ड्रैगन है! हमारे इतने करीब रहता है। किसी ने तो उसे मारना चाहिए।
उस गाँव में एक छोटा लड़का रहता था। उसने हमेशा उनसे ड्रैगन के बारे में बात करते हुए सुना था। वह सवाल करता था, ड्रैगन वहीं पहाड़ पर रहता है। वह कभी गांव नहीं आता है। उसने किसी को चोट नहीं पहुंचाई थी। तो यह सब उपद्रव क्यों? उस गरीब ड्रैगन को क्यों मारें?
एक बार लड़के का जन्मदिन था। घर पर तैयारियाँ जोरों पर थीं। घर के लोग तय कर रहे थे कि ऊन्हे क्या करना है। किस किस को बुलाए, इसका फैसला किया जा रहा था।
"मुझे बताओ कि तेरे दोस्तों में से किसे किसे बुलाना है।" उसकी माँ ने पूछा।
"माँ, मैं सच बताऊं? मैं उस ड्रैगन को बुलाना चाहता हूँ।"
"क्या तुम पागल हो? वह एक ड्रैगन है। क्या तुम जानते नहीं कि वह कितना भयानक है? उसकी आँखों को याद करने से ही कितना डरावना लगता है।"
"लेकिन माँ, क्या उसने किसी के साथ कुछ किया है? क्या उसने किसी को चोट पहुँचाई है? क्या आप जानते हैं कि वह कैसा है? शायद वह भला भी होगा।"
"कुछ मत कहो। ड्रैगन को बुलाने की जरूरत नहीं है।" माँ उस पर चिल्लायी।
लेकिन लड़का भी जिद्दी था। कोई बात नहीं सुनी, उसने ड्रैगन को बुलाने का फैसला किया।
अपने जन्मदिन की सुबह, वह जल्दी उठ गया और घर से बाहर चला गया, यह देखते हुए कि कोई भी नहीं देख रहा है। बाहर आते ही वह पहाड़ की ओर भागा। वह भागता हुआ पहाड़ के नीचे आया। वहाँ से, उसने गुफा की तरफ देखा और पहाड़ पर भागना शुरू कर दिया। वह पहाड़ पर चढ़ने और ड्रैगन की गुफा आने तक नहीं रुका।
"ड्रैगन ... ड्रैगन ... तुम कहां हो? मैं तुम्हें मिलने आया हूं।" उसने गुफा में झाँका।
अंदर से कोई आवाज नहीं आयी।
"मुझे पता है, तुम अंदर हो। मैं तुम्हें मिलने आया हूं।"
"कौन है? और तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" ड्रैगनने अंदर से आवाज दी।
"आज मेरा जन्मदिन है। मेरे सभी दोस्त आ रहे हैं। मैं तुम्हें लेने आया हूँ।"
ड्रैगन को पहले विश्वास ही नहीं हुआ। इससे पहले किसी ने उसे ऐसा नहीं कहा था।
"यहाँ से चले जाओ। तुझे पता है कि मैं कितना भयानक हूँ ?" ड्रैगन ने उसे डराने की कोशिश की।
लेकिन लड़का भी बहुत जिद्दी था।
"मैं नहीं जाऊंगा। मैं तुम्हें घर ले जाऊंगा। आज मेरा जन्मदिन है। अगर कोई जन्मदिन पर कुछ मांगेगा, तो कोई उसे मना नहीं करते, मेरी माँ ऐसा कहती है। बस तुझे आना ही होगा।"
ड्रैगन आखिरकार सहमत हो गया कि लड़का वास्तव में उसे अपने जन्मदिन के लिए बुलाने आया हैं। ड्रैगन की आंखों में आंसू आ गए। किसी ने भी उसे इतनी जिद के साथ नहीं बुलाया था।
"आज क्या शानदार दिन है!" उसने सोचा। "किसी ने भी मुझे इतने आग्रह से नहीं बुलाया है।"
ड्रैगन की आँखों से अब और आँसू बहने लगे। ऊस आंसू से एक बडी नदी बन गई।
"चलो, मेरी पीठ पर बैठो।" लड़के को ड्रैगनने कहा। "मैं तुम्हें तुम्हारे घर ले जाऊंगा।"
लड़का खुशी से ड्रैगन की पीठ पर बैठ गया। ड्रैगन अपने आँसुओं की नदी में तैरता हुआ आगे चलता रहा।
आगे चलकर एक आश्चर्य हुआ! मानो, एक चमत्कार हुआ। उस ड्रैगन का शरीर बदलना शुरू हो गया। यह बड़ा, और बड़ा हो रहा था और लोग देख रहे थे। वो लड़का ड्रैगन के आकार के जैसे बोट पर बैठकर घर आ रहा था। वो लड़का कप्तान जैसा दिख रहा था। (चिनी लोककथा)
उस गाँव के बाहर एक पहाड़ था। लेकिन गांव के लोग कभी उस पहाड़ पर नहीं गए थे। वो इतना बड़ा नहीं था, लेकिन वयस्कों ने छोटे बच्चों को भी वहां कभी नहीं भेजा। उसका एक कारण था।
उस पहाड़ पर एक गुफा थी और एक ड्रैगन उस गुफा में रह रहा था। लाल आंखोंवाला। रात के अंधेरे में, वे आँखें आग की गोले की तरह लगते थे।
गाँव के लोग कहते थे, क्या भयंकर ड्रैगन है! हमारे इतने करीब रहता है। किसी ने तो उसे मारना चाहिए।
उस गाँव में एक छोटा लड़का रहता था। उसने हमेशा उनसे ड्रैगन के बारे में बात करते हुए सुना था। वह सवाल करता था, ड्रैगन वहीं पहाड़ पर रहता है। वह कभी गांव नहीं आता है। उसने किसी को चोट नहीं पहुंचाई थी। तो यह सब उपद्रव क्यों? उस गरीब ड्रैगन को क्यों मारें?
एक बार लड़के का जन्मदिन था। घर पर तैयारियाँ जोरों पर थीं। घर के लोग तय कर रहे थे कि ऊन्हे क्या करना है। किस किस को बुलाए, इसका फैसला किया जा रहा था।
"मुझे बताओ कि तेरे दोस्तों में से किसे किसे बुलाना है।" उसकी माँ ने पूछा।
"माँ, मैं सच बताऊं? मैं उस ड्रैगन को बुलाना चाहता हूँ।"
"क्या तुम पागल हो? वह एक ड्रैगन है। क्या तुम जानते नहीं कि वह कितना भयानक है? उसकी आँखों को याद करने से ही कितना डरावना लगता है।"
"लेकिन माँ, क्या उसने किसी के साथ कुछ किया है? क्या उसने किसी को चोट पहुँचाई है? क्या आप जानते हैं कि वह कैसा है? शायद वह भला भी होगा।"
"कुछ मत कहो। ड्रैगन को बुलाने की जरूरत नहीं है।" माँ उस पर चिल्लायी।
लेकिन लड़का भी जिद्दी था। कोई बात नहीं सुनी, उसने ड्रैगन को बुलाने का फैसला किया।
अपने जन्मदिन की सुबह, वह जल्दी उठ गया और घर से बाहर चला गया, यह देखते हुए कि कोई भी नहीं देख रहा है। बाहर आते ही वह पहाड़ की ओर भागा। वह भागता हुआ पहाड़ के नीचे आया। वहाँ से, उसने गुफा की तरफ देखा और पहाड़ पर भागना शुरू कर दिया। वह पहाड़ पर चढ़ने और ड्रैगन की गुफा आने तक नहीं रुका।
"ड्रैगन ... ड्रैगन ... तुम कहां हो? मैं तुम्हें मिलने आया हूं।" उसने गुफा में झाँका।
अंदर से कोई आवाज नहीं आयी।
"मुझे पता है, तुम अंदर हो। मैं तुम्हें मिलने आया हूं।"
"कौन है? और तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" ड्रैगनने अंदर से आवाज दी।
"आज मेरा जन्मदिन है। मेरे सभी दोस्त आ रहे हैं। मैं तुम्हें लेने आया हूँ।"
ड्रैगन को पहले विश्वास ही नहीं हुआ। इससे पहले किसी ने उसे ऐसा नहीं कहा था।
"यहाँ से चले जाओ। तुझे पता है कि मैं कितना भयानक हूँ ?" ड्रैगन ने उसे डराने की कोशिश की।
लेकिन लड़का भी बहुत जिद्दी था।
"मैं नहीं जाऊंगा। मैं तुम्हें घर ले जाऊंगा। आज मेरा जन्मदिन है। अगर कोई जन्मदिन पर कुछ मांगेगा, तो कोई उसे मना नहीं करते, मेरी माँ ऐसा कहती है। बस तुझे आना ही होगा।"
ड्रैगन आखिरकार सहमत हो गया कि लड़का वास्तव में उसे अपने जन्मदिन के लिए बुलाने आया हैं। ड्रैगन की आंखों में आंसू आ गए। किसी ने भी उसे इतनी जिद के साथ नहीं बुलाया था।
"आज क्या शानदार दिन है!" उसने सोचा। "किसी ने भी मुझे इतने आग्रह से नहीं बुलाया है।"
ड्रैगन की आँखों से अब और आँसू बहने लगे। ऊस आंसू से एक बडी नदी बन गई।
"चलो, मेरी पीठ पर बैठो।" लड़के को ड्रैगनने कहा। "मैं तुम्हें तुम्हारे घर ले जाऊंगा।"
लड़का खुशी से ड्रैगन की पीठ पर बैठ गया। ड्रैगन अपने आँसुओं की नदी में तैरता हुआ आगे चलता रहा।
आगे चलकर एक आश्चर्य हुआ! मानो, एक चमत्कार हुआ। उस ड्रैगन का शरीर बदलना शुरू हो गया। यह बड़ा, और बड़ा हो रहा था और लोग देख रहे थे। वो लड़का ड्रैगन के आकार के जैसे बोट पर बैठकर घर आ रहा था। वो लड़का कप्तान जैसा दिख रहा था। (चिनी लोककथा)
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